Prakrutik ऑर्गेनिक खेती के लिए जीवामृत Jivamrit Bhumi ke liye vardan
जीवामृत, जिसे "जीवों का अमृत" भी कहते हैं, एक बेहद असरदार जैविक खाद है जो प्राकृतिक खेती में मिट्टी की उर्वरता और पौधों के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है। इसे बनाना काफी आसान है और यह कम लागत में तैयार हो जाती है।
जीवामृत बनाने की विधि
यह मात्रा एक एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त होती है।
सामग्री:
* देसी गाय का गोबर: 10 किलो (जितना ताजा हो उतना अच्छा)
* देसी गाय का गोमूत्र: 5-10 लीटर
* गुड़: 1-2 किलो (मीठे फल या गन्ने का रस भी ले सकते हैं)
* बेसन: 1-2 किलो (किसी भी दाल का आटा, जैसे चना, अरहर)
* बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी: 1 मुट्ठी या 1 किलो (ऐसी जगह की मिट्टी जहाँ कभी रासायनिक खाद का इस्तेमाल न हुआ हो)
* पानी: 180-200 लीटर
बनाने की प्रक्रिया:
* एक बड़े प्लास्टिक के ड्रम या सीमेंट की टंकी में 200 लीटर पानी डालें।
* अब इस पानी में 10 किलो ताजा गोबर, 5-10 लीटर गोमूत्र, 1-2 किलो गुड़ और 1-2 किलो बेसन अच्छी तरह मिला लें।
* आखिर में, बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी को भी इस मिश्रण में मिला दें। यह मिट्टी जीवाणुओं का मुख्य स्रोत होती है।
* सभी सामग्री को एक लकड़ी के डंडे से अच्छी तरह घोल लें, ताकि कोई गांठ न रह जाए।
* अब ड्रम को जूट की बोरी या किसी जालीदार कपड़े से ढककर छाँव वाली जगह पर रखें। सीधी धूप से बचाना बहुत ज़रूरी है।
* इस मिश्रण को हर दिन सुबह-शाम घड़ी की दिशा में 2-3 मिनट तक लकड़ी के डंडे से हिलाएं। इससे हवा का संचार बना रहता है और जीवाणुओं की वृद्धि होती है।
जीवामृत कितने दिन में तैयार होता है?
यह मौसम पर निर्भर करता है:
* गर्मियों में: 3-4 दिन में तैयार हो जाता है।
* सर्दियों में: 7-10 दिन या इससे अधिक भी लग सकते हैं।
जब मिश्रण से थोड़ी खट्टी सी गंध आने लगे और वह झागदार हो जाए, तो समझ लें कि जीवामृत तैयार है। इसे 15 से 20 दिनों के भीतर इस्तेमाल कर लेना चाहिए ताकि जीवाणुओं की सक्रियता बनी रहे।
गौ कृपा अमृत कैसे बनाएं गो कृपा अमृत बनाने का तरीका गऊ कृपा अमृत बनाने की विधि गाय कृपा अमृत कैसे प्रयोग करें
https://sachakisan.blogspot.com/2025/11/go-kripa-amrit.html
इस्तेमाल का तरीका:
तैयार जीवामृत को कपड़े से छानकर सिंचाई के पानी के साथ या सीधे पौधों की जड़ों में डाल सकते हैं। इसका छिड़काव भी किया जा सकता है। यह पौधों के लिए टॉनिक का काम करता है और मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है, जिससे मिट्टी की सेहत सुधरती है और फसल की पैदावार बढ़ती है।
जीवामृत कोई सीधे-सीधे उर्वरक नहीं है जिसमें पोषक तत्वों की एक निश्चित मात्रा हो। यह एक जैविक उत्प्रेरक (bio-catalyst) की तरह काम करता है। इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी में उन सूक्ष्मजीवों (microbes) और केंचुओं की संख्या को बढ़ाना है जो मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं।
जीवामृत में पाए जाने वाले मुख्य तत्व और उनका कार्य इस प्रकार है:
* सूक्ष्मजीव: जीवामृत में असंख्य लाभकारी सूक्ष्मजीव होते हैं, जैसे:
* एजोस्पाइरिलम (Azospirillum): यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पौधों के लिए स्थिर करता है।
* फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB): ये मिट्टी में जमे हुए फॉस्फेट को घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं।
* ट्राइकोडर्मा (Trichoderma): यह मिट्टी से होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करता है।
* यीस्ट और मोल्ड (Yeast and Mold): ये भी मिट्टी की संरचना और उर्वरता सुधारने में मदद करते हैं।
* नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (NPK):
* जीवामृत में सीधे तौर पर नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटेशियम (K) की मात्रा बहुत कम होती है, जो कि रासायनिक खाद की तरह निश्चित मात्रा में नहीं होती।
* लेकिन, यह इन तत्वों को उपलब्ध कराने का सबसे अच्छा तरीका है। इसमें मौजूद सूक्ष्मजीव मिट्टी में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को तोड़कर इन पोषक तत्वों को पौधों की जड़ों तक पहुंचाते हैं।
* गोबर, गोमूत्र, बेसन और गुड़ में भी NPK और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व (जैसे जिंक, आयरन, कॉपर, सल्फर) होते हैं, जो जीवामृत को एक संतुलित पोषण का स्रोत बनाते हैं।
संक्षेप में, जीवामृत का महत्व उसकी पोषक तत्वों की मात्रा में नहीं, बल्कि उसकी मिट्टी को जीवित और उपजाऊ बनाने की क्षमता में है। यह मिट्टी के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार करता है, जिससे पौधे अपनी आवश्यकतानुसार प्राकृतिक रूप से पोषक तत्वों को ग्रहण कर पाते हैं।
राजीव दीक्षित द्वारा बताया गया ऑर्गेनिक खेती का तरीका
https://youtu.be/JTCUv-Sq0fE?si=F54Mi1HGQBr0UF3H
प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के लिए बनाए गए जीवामृत को अंग्रेजी में भी आमतौर पर Jeevamrut (या कभी-कभी Jeevamrutha) ही कहा जाता है।
यह नाम हिंदी के दो शब्दों से मिलकर बना है:
* जीवन (Jeevan): जिसका अर्थ है Life (जीवन)।
* अमृत (Amrut): जिसका अर्थ है Nectar या Elixir (अमृत)।
इसलिए, जीवामृत का शाब्दिक अर्थ है "Nectar of Life" (जीवन का अमृत)।
तकनीकी या वर्णनात्मक रूप से आप इसे इन नामों से भी संदर्भित कर सकते हैं:
* Jeevamrut / Jeevamrutha (सबसे प्रचलित नाम)
* Soil Microbial Enhancer (मिट्टी में सूक्ष्मजीवों को बढ़ाने वाला)
* Fermented Microbial Culture (किण्वित सूक्ष्मजीव संस्कृति)
* Liquid Organic Manure (तरल जैविक खाद)
यह एक ऐसा घोल है जो मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों (Bacteria, Fungi, etc.) की संख्या को तेजी से बढ़ाता है, जो पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने में मदद करते हैं।
ई नेचुरल फॉर्मिंग नचार खेड़ा जींद हरियाणा इंडिया
रामू कवि किसान नचार खेड़ा जींद हरियाणा रामनिवास DEO रामू कवि किसान
ऑर्गेनिक खेती के लिए खाद Jivamrit Bhumi ke liye vardan
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें