गो कृपा अमृत कैसे बनाएं Go kripa Amrit
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यह जानकारी गो-कृपा अमृत के उपयोग की विधि को स्पष्ट रूप से समझाती है।
गो-कृपा अमृत को खेतों में उपयोग करने के दो मुख्य तरीके और उनके उपयोग का समय नीचे संक्षेप में दिए गए हैं:
🌾 गो-कृपा अमृत उपयोग का सारांश
1. सिंचाई में उपयोग (Flow Irrigation)
* उद्देश्य: मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना, पहली बार उपयोग के लिए सबसे प्रभावी।
* मात्रा: 20 लीटर तैयार कल्चर प्रति 1 एकड़।
* प्रक्रिया: इसे सिंचाई के पानी (ड्रिप, फ्लड, नाली) के साथ धीरे-धीरे मिलाकर पूरे खेत में समान रूप से फैला दें।
2. सीधे छिड़काव (Foliar Spray)
* उद्देश्य: पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना और वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ावा देना।
* मात्रा: 1 से 2 लीटर गो-कृपा अमृत को 100 लीटर से 200 लीटर स्वच्छ पानी में मिलाएं।
* प्रक्रिया: घोल का छिड़काव किसी भी फसल पर सुबह या शाम के समय करें
📅 उपयोग का समय और अंतराल
* पहला उपयोग: बुवाई से पहले (मिट्टी की तैयारी के समय)।
* नियमित उपयोग: फसल की बुवाई के 15-20 दिनों बाद से शुरू करके, हर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई या छिड़काव के माध्यम से।
* लाभ: मिट्टी की संरचना, पानी सोखने की क्षमता सुधरती है, और फसल की पैदावार व गुणवत्ता में सुधार होता है।
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गो-कृपा अमृत (कल्चर) को 20 लीटर की मात्रा में बनाने के लिए आपको सबसे पहले इसका मदर कल्चर या स्टार्टर कल्चर प्राप्त करना होगा।
यह एक प्रोबायोटिक (लाभकारी जीवाणु) कल्चर है, जिसे मुख्य रूप से मिट्टी की उर्वरता और पौधों की वृद्धि में सुधार के लिए जैविक खेती में उपयोग किया जाता है।
आपके प्रश्न के अनुसार, 20 लीटर गो-कृपा अमृत बनाने की सामान्य विधि यहाँ दी गई है:
🌾 गो-कृपा अमृत बनाने की विधि (20 लीटर के लिए)
यह विधि मदर कल्चर को बढ़ाने (मल्टीप्लाई करने) पर आधारित है।
🧑🌾 आवश्यक सामग्री
| सामग्री | आवश्यक मात्रा (लगभग) |
|---|---|
| स्वच्छ पानी (क्लोरीन रहित) | 18 से 19 लीटर |
| गो-कृपा अमृत का मदर कल्चर (स्टार्टर) | 1 लीटर |
| जैविक गुड़/गन्ना जूस | 200 ग्राम से 500 ग्राम (जीवाणुओं का भोजन) |
| ताजा गौदही (या छाछ) | 200 मिलीलीटर (वैकल्पिक, लेकिन सहायक) |
नोट: कुछ विधियों में गौदही का उपयोग नहीं किया जाता है, जबकि कुछ में इसकी जगह बेसन का उपयोग भी किया जाता है।
🛠️ बनाने की प्रक्रिया
* बर्तन की तैयारी: 20 लीटर की क्षमता वाला एक प्लास्टिक का ड्रम या बर्तन लें। सुनिश्चित करें कि वह साफ हो।
* पानी डालें: उसमें 18 से 19 लीटर स्वच्छ और क्लोरीन रहित पानी डालें।
* गुड़ घोलें: गुड़ को पानी में अच्छी तरह से घोल लें। गुड़ लाभकारी जीवाणुओं के लिए भोजन (कार्बन स्रोत) का काम करता है।
* दही/छाछ मिलाएं (वैकल्पिक): यदि आप दही का उपयोग कर रहे हैं, तो उसे भी घोल में मिला दें।
* कल्चर मिलाएं: अब इस घोल में 1 लीटर गो-कृपा अमृत का मदर कल्चर सावधानी से मिलाएं।
* मिलाना (Stirring): एक डंडे की सहायता से इस मिश्रण को अच्छी तरह से हिलाएं ताकि सभी सामग्री मिल जाए।
* ढक कर रखें: ड्रम को ढक्कन से हल्का ढक दें, ताकि हवा का संचार बना रहे (पूरी तरह से एयरटाइट न करें)।
* किण्वन (Fermentation): इस मिश्रण को लगभग 5 से 7 दिनों के लिए छायादार स्थान पर किण्वित (ferment) होने दें।
* नियमित हिलाना: पहले 3-4 दिनों तक, इस घोल को दिन में कम से कम एक या दो बार किसी डंडे से 2-3 मिनट के लिए घड़ी की दिशा में (Clockwise) हिलाएं। इससे जीवाणु सक्रिय रहते हैं और नीचे नहीं बैठते।
* तैयारी की पहचान: 5-7 दिन बाद, जब घोल से खट्टी महक आने लगे और ऊपर झाग/परत दिखना बंद हो जाए, तो समझ लें कि आपका गो-कृपा अमृत 20 लीटर की मात्रा में उपयोग के लिए तैयार है।
💡 महत्वपूर्ण बातें
* मदर कल्चर: गो-कृपा अमृत का मदर कल्चर (स्टार्टर) आपको किसी विश्वसनीय गौशाला या जैविक कृषि केंद्र से प्राप्त करना होगा।
* क्लोरीन रहित पानी: यदि आपके पानी में क्लोरीन है, तो उसे एक दिन पहले खुले में रख दें ताकि क्लोरीन उड़ जाए।
* भंडारण: तैयार कल्चर को हमेशा छाँव में, सीधे धूप से दूर रखें।
अगला कदम
इस तैयार गो-कृपा अमृत को खेतों में कैसे उपयोग किया जाता है और इसकी कितनी मात्रा का छिड़काव करना चाहिए?
गो-कृपा अमृत को खेतों में उपयोग करने की विधि बहुत सरल और कारगर है।
🌾 गो-कृपा अमृत उपयोग करने की विधि
गो-कृपा अमृत तैयार होने के बाद, इसका उपयोग दो मुख्य तरीकों से किया जाता है:
1. पानी के साथ ड्रिप या सिंचाई में उपयोग (Flow Irrigation)
यह सबसे सामान्य और प्रभावी तरीका है, खासकर जब आप इसे पहली बार मिट्टी में डाल रहे हों।
* मात्रा: तैयार किए गए 20 लीटर गो-कृपा अमृत कल्चर को प्रति एकड़ (1 एकड़) उपयोग करने की सिफारिश की जाती है।
* प्रक्रिया:
* सिंचाई शुरू करें।
* सिंचाई के पानी के साथ (जैसे ड्रिप सिंचाई, फ्लड सिंचाई या नाली में पानी), इस 20 लीटर के कल्चर को धीरे-धीरे एक-एक बूंद करके मिला दें।
* कोशिश करें कि यह कल्चर सिंचाई के पानी के साथ धीरे-धीरे और समान रूप से पूरे खेत में फैल जाए।
2. सीधे छिड़काव (Foliar Spray)
इसका उपयोग पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और उन्हें पोषक तत्व सीधे उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है।
* मात्रा: 100 लीटर से 200 लीटर स्वच्छ पानी में 1 से 2 लीटर गो-कृपा अमृत मिलाएं।
* छिड़काव: इस घोल को किसी भी फसल पर सुबह या शाम के समय छिड़काव करें।
* लाभ: यह विशेष रूप से पौधों को रोगों से बचाने और उनकी वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद करता है।
📅 उपयोग का समय और अंतराल
* बुवाई से पहले: मिट्टी की तैयारी के समय पहली बार इसका उपयोग करने से मिट्टी में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ती है।
* विकास के चरण में: फसल की बुवाई के 15-20 दिनों बाद से लेकर, आप हर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर इसका उपयोग सिंचाई या छिड़काव के माध्यम से कर सकते हैं।
* फायदे: नियमित उपयोग से मिट्टी की संरचना सुधरती है, पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है, और फसल की पैदावार व गुणवत्ता में सुधार होता है।
संक्षेप में, आपका तैयार 20 लीटर का गो-कृपा अमृत एक एकड़ (1 acre) के लिए काफी है, जिसे आप सिंचाई के पानी के साथ मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
गो-कृपा अमृत को अंग्रेजी में आमतौर पर Go-Krupa Amrit ही लिखा जाता है।
हालाँकि, इसके अर्थ और कार्यप्रणाली को दर्शाने वाले कुछ अन्य नाम या विवरण इस प्रकार हैं:
* Go-Krupa Amrit (सबसे सीधा अनुवाद)
* Go-Kripa Amrit Culture
* Cow-Grace Elixir
* Cow-based Probiotic Culture
* Beneficial Microbial Culture (BMC) / Fermented Cow Manure Culture
इसका सार है Beneficial Microbial Culture (लाभदायक सूक्ष्मजीव संस्कृति) जो गाय के उत्पादों (गो-कृपा) पर आधारित है, इसलिए इसे "Go-Krupa Amrit" कहना ही सबसे ज्यादा सटीक और प्रचलित है।
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