लहसुन की खेती Harvesting of Garlic
लहसुन लगाने का सही वक्त क्या है
किस तरीके से लगाएं
पौधे से पौधे एवं लाइन से लाइन की दूरी कितनी हो
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एक एकड़ में कितना बीज लगता है
कितनी पैदावार होती है
कब पक के तैयार हो जाता है
लहसुन की खेती से संबंधित आपके सभी प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए हैं:
* लहसुन लगाने का सही वक्त क्या है?
* लहसुन की बुवाई का सबसे अच्छा और उपयुक्त समय सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर के अंत तक माना जाता है।
* हालांकि, नवंबर के पहले पखवाड़े तक भी इसकी बुवाई की जा सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ गर्मी देर तक रहती है।
* जल्दी बुवाई (सितंबर-अक्टूबर) से पैदावार अच्छी होने की संभावना रहती है।
* किस तरीके से लगाएं?
* बीज का चयन: लहसुन की गांठों (कंदों) में से स्वस्थ, रोगमुक्त और बड़ी कलियों (जवे) का चयन करें। ये ही लहसुन के बीज होते हैं।
* बुवाई की विधि: लहसुन को आमतौर पर कतारों (लाइनों) में बोया जाता है।
* कलियों को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए। ध्यान रहे कि कली का नुकीला सिरा (जिस तरफ से अंकुरण होता है) ऊपर की तरफ रहे।
* कलियों को मिट्टी से हल्का ढक दें।
* आप इसे बेड बनाकर भी लगा सकते हैं, जिससे जल निकासी अच्छी रहती है और पैदावार भी बढ़ सकती है।
* पौधे से पौधे एवं लाइन से लाइन की दूरी कितनी हो?
* लाइन से लाइन (कतार से कतार) की दूरी: 15 से 20 सेंटीमीटर (लगभग 6 से 8 इंच) रखें।
* पौधे से पौधे की दूरी: 8 से 10 सेंटीमीटर (लगभग 3 से 4 इंच) रखें।
* यह दूरी लहसुन के कंदों (गांठों) को उचित विकास के लिए जगह देती है।
* एक एकड़ में कितना बीज लगता है?
* लहसुन की खेती के लिए प्रति एकड़ औसतन 1.5 से 2 क्विंटल (150 से 200 किलोग्राम) बीज (स्वस्थ कलियां) की आवश्यकता होती है।
* कितनी पैदावार होती है?
* यह किस्म, मिट्टी की उर्वरता, मौसम और प्रबंधन पर निर्भर करता है।
* औसतन, लहसुन की पैदावार प्रति एकड़ 40 से 50 क्विंटल तक हो सकती है। अच्छी किस्मों और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर इससे अधिक उपज भी मिल सकती है।
* कब पक के तैयार हो जाता है?
* लहसुन की फसल बुवाई के बाद लगभग 4 से 5 महीने (120 से 180 दिन) में पककर तैयार हो जाती है।
* फसल पकने की पहचान यह है कि लहसुन के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं और ऊपरी तना सूखना शुरू हो जाता है। इसी समय इसकी खुदाई की जाती है।
बहुत अच्छा सवाल 👏 — लहसुन (Garlic) की खेती सही समय और तरीके से की जाए तो बहुत बढ़िया उत्पादन देता है। नीचे मैं आपको लहसुन की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी चरणबद्ध तरीके से बता रहा हूँ 👇
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🌾 1. लहसुन लगाने का सही समय (Time of Sowing)
उत्तर भारत (हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि):
👉 अक्टूबर के मध्य से नवंबर के अंत तक सबसे उपयुक्त समय है।
ठंडे इलाकों में नवंबर के आखिरी सप्ताह तक बो सकते हैं।
बहुत देर से बुवाई करने पर कलियाँ छोटी रह जाती हैं।
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🌱 2. लगाने का तरीका (Method of Planting)
खेत की अच्छी तरह गहरी जुताई कर लें।
बारीक भुरभुरी मिट्टी तैयार करें और सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए।
क्यारी (bed) बनाकर लगाना बेहतर होता है ताकि पानी का जमाव न हो।
कलियाँ (Cloves) को बीज की तरह इस्तेमाल करें, छिलका न उतारें।
कलियाँ नुकीला भाग ऊपर रखते हुए मिट्टी में दबाएँ।
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📏 3. दूरी (Spacing)
पौधे से पौधे की दूरी: 7–8 सेंटीमीटर
लाइन से लाइन की दूरी: 15–20 सेंटीमीटर
👉 इससे पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है और देखभाल आसान रहती है।
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🌰 4. बीज की मात्रा (Seed Rate)
एक एकड़ खेत के लिए: लगभग 150–200 किलो लहसुन की कलियाँ (बीज) लगती हैं।
यह मात्रा किस्म और कलियों के आकार पर निर्भर करती है।
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💧 5. सिंचाई (Irrigation)
पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
इसके बाद हर 10–12 दिन पर हल्की सिंचाई करें।
फसल पकने के समय (कटाई से 15–20 दिन पहले) सिंचाई बंद कर दें।
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🌾 6. पैदावार (Yield)
सामान्य परिस्थितियों में: 50–70 क्विंटल प्रति एकड़
अच्छी किस्म और देखभाल से: 80–100 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन संभव है।
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🧄 7. पकने का समय / कटाई (Harvesting Time)
बुवाई के बाद 4 से 5 महीने में फसल तैयार होती है।
जब पत्ते पीले पड़ने लगें और झुकने लगें, तब कटाई का सही समय होता है।
कटाई के बाद छाया में 10–15 दिन सुखाकर लहसुन को भंडारण के लिए तैयार करें।
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💡 अतिरिक्त सुझाव (Extra Tips)
बीज के लिए स्वस्थ, बड़े और रोग-मुक्त कलियाँ चुनें।
मिट्टी दोमट (Loamy) होनी चाहिए, जिसका pH 6–7.5 हो।
जैविक खाद जैसे गोबर की सड़ी खाद (10–12 टन/एकड़) डालना बहुत उपयोगी है।
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अगर आप चाहें तो मैं आपके लिए लहसुन की पूरी खेती की समय-सारणी (कैलेंडर) बना दूँ — जिसमें हर महीने कौन सा काम करना है (जैसे निराई, सिंचाई, खाद डालना आदि) वो विस्तार से लिखा हो।
क्या मैं वो तैयार कर दूँ?
बहुत बढ़िया 👍
यह रहा लहसुन की खेती का पूरा माहवार कैलेंडर (1 एकड़ के हिसाब से) — जिससे आप हर महीने सही समय पर काम करके अच्छी पैदावार ले सकते हैं 👇
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🌱 लहसुन की खेती का मासिक कैलेंडर (Garlic Crop Calendar)
🌾 सितंबर – खेत की तैयारी
गहरी जुताई 2–3 बार करें।
10–12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ डालें।
खेत को समतल करें और पानी की निकासी का अच्छा इंतजाम रखें।
सिंचाई करें ताकि नमी बनी रहे।
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🌾 अक्टूबर – बुवाई का महीना
मध्य अक्टूबर से नवंबर तक लहसुन की कलियाँ लगाएँ।
कलियाँ स्वस्थ, बड़ी और रोगमुक्त हों।
दूरी:
👉 पौधे से पौधे — 7–8 सेमी
👉 कतार से कतार — 15–20 सेमी
कलियाँ नुकीला भाग ऊपर रखें, लगभग 3–4 सेमी गहराई पर लगाएँ।
पहली सिंचाई तुरंत करें।
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🌾 नवंबर – अंकुरण व शुरुआती वृद्धि
पौधे उगने लगें तो हल्की निराई-गुड़ाई करें।
अगर कहीं खाली जगह दिखे तो वहाँ पुनः रोपाई (gap filling) करें।
सिंचाई हर 10–12 दिन पर करें।
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🌾 दिसंबर – खाद व कीट प्रबंधन
पहली टॉप ड्रेसिंग में नाइट्रोजन (Urea 25 किलो/एकड़) दें।
पत्तों पर नीम की खली या ट्राइकोडर्मा का छिड़काव करें।
थ्रिप्स और कीटों पर नज़र रखें; जैविक कीटनाशक (नीम तेल 5ml/लीटर) छिड़कें।
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🌾 जनवरी – बढ़वार का समय
हर 12–15 दिन में सिंचाई करें।
दूसरी बार नाइट्रोजन (Urea 25 किलो/एकड़) दें।
निराई-गुड़ाई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी रहे।
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🌾 फरवरी – गांठ बनने का समय
फसल में अब लहसुन की गांठें बनना शुरू होती हैं।
पौधों को अधिक नमी चाहिए — सिंचाई नियमित रखें।
कोई रोग दिखे तो जैविक फफूंदनाशी (Trichoderma + नीम तेल) छिड़कें।
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🌾 मार्च – पकने की शुरुआत
जब 50% पत्ते पीले होने लगें, तब अंतिम सिंचाई कर दें।
इसके बाद सिंचाई बंद करें ताकि फसल सूखने लगे।
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🌾 अप्रैल – कटाई और सुखाना
पत्ते पीले होकर झुकने लगें तो कटाई करें।
फसल को छाया में 10–15 दिन सुखाएँ।
सूखने के बाद गांठें साफ करके भंडारण के लिए तैयार करें।
अच्छी तरह सूखा कर जालियों वाले थैलों में रखें।
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📊 संक्षिप्त विवरण
चरण कार्य समय
खेत तैयारी सितंबर 1 माह
बुवाई अक्टूबर–नवंबर 15–30 दिन
वृद्धि दिसंबर–फरवरी 3 माह
कटाई मार्च–अप्रैल 1 माह
कुल अवधि 4.5–5 माह
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🌾 अपेक्षित उत्पादन
सामान्य पैदावार: 50–70 क्विंटल/एकड़
अच्छी देखभाल से: 80–100 क्विंटल/एकड़
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प्राकृतिक (जैविक) तरीके से लहसुन की खेती करने के लिए बुवाई से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी, जिसमें सही समय, बीज की मात्रा, पानी और अनुमानित उत्पादन शामिल है, नीचे दी गई है:
1. बुवाई का सही समय
* उत्तम समय: लहसुन की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय बुवाई करने से पैदावार अच्छी होती है।
* पकने की अवधि: लहसुन की फसल लगभग 120 से 180 दिन (4 से 6 महीने) में पककर तैयार हो जाती है, जो कि किस्म और मौसम पर निर्भर करता है।
2. खेत की तैयारी और जैविक खाद प्रबंधन
* खेत की तैयारी: मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए 2-3 बार अच्छी जुताई करें।
* जैविक खाद: लहसुन की जैविक खेती के लिए, खेत की अंतिम जुताई से पहले प्रति एकड़ 2 से 3 ट्राली (लगभग 10-15 टन) सड़ी हुई गोबर की खाद या केंचुआ खाद (वर्मीकंपोस्ट) डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
* बेसल डोज़ (बुवाई के समय): बुवाई के समय आप जैविक पोटाश, सल्फर (जैसे बेंटोनाइट सल्फर) और फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए रॉक फॉस्फेट और ह्यूमिक एसिड/सीवीड एक्सट्रैक्ट का उपयोग कर सकते हैं।
3. बीज की मात्रा और बुवाई
* बीज का चयन:
* अच्छी गुणवत्ता वाले रोग रहित और बड़ी कलियों वाले लहसुन का चयन करें।
* बीज उपचार के लिए ट्राइकोडर्मा या किसी अन्य जैविक फफूंदनाशक का उपयोग करें।
* बीज की मात्रा: औसतन एक एकड़ खेत के लिए 1.5 से 2 क्विंटल (150 से 200 किलोग्राम) लहसुन की कलियों की आवश्यकता होती है। यह किस्म और कली के आकार पर निर्भर करता है।
* बुवाई की विधि:
* दूरी: कतार से कतार और कली से कली की दूरी लगभग 4 से 6 इंच (10 से 15 सेंटीमीटर) रखें।
* कलियों को लगभग 1 से 2 इंच की गहराई पर, नुकीला भाग ऊपर की ओर रखते हुए लगाना चाहिए।
4. पानी (सिंचाई) प्रबंधन
* पहली सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद पहली हल्की सिंचाई करें।
* आगे की सिंचाई: मिट्टी और मौसम की स्थिति के आधार पर सिंचाई करें। आमतौर पर, 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।
* ध्यान रखें: लहसुन को बार-बार पानी देने से बचें, खासकर जब मिट्टी ऊपर से गीली हो। अधिक पानी से कंद सड़ सकते हैं या फसल खराब हो सकती है। कंद बनने के दौरान नमी बनाए रखना आवश्यक है।
* कटाई से पहले: कटाई से लगभग 15-20 दिन पहले सिंचाई करना बंद कर दें, ताकि कंद अच्छी तरह पक सकें।
5. फसल प्रबंधन और पकने की प्रक्रिया
| समय (बुवाई से) | कार्य और जैविक उपाय |
|---|---|
| 30-35 दिन | पहली निराई-गुड़ाई: खरपतवार नियंत्रण के लिए करें। इससे जड़ों तक हवा पहुँचती है। |
| 30-60 दिन | जैविक खाद टॉप-ड्रेसिंग: इस समय फसल की ग्रोथ तेज़ होती है। गोबर की खाद का घोल, वर्मीकंपोस्ट या तरल जीवामृत का उपयोग करें। |
| 60-70 दिन | दूसरी निराई-गुड़ाई: कंद बनना शुरू होने से पहले करें। |
| 70-90 दिन | कंद विकास: कंद का आकार बढ़ने लगता है। इस समय जैविक पोटाश (जैसे लकड़ी की राख) या अन्य जैविक कंद वर्धक का उपयोग करें। बोरोन का स्प्रे (जैविक रूप में) करने से कंद फटने से बचते हैं। |
| रोग/कीट नियंत्रण: | लहसुन में मुख्य रूप से थ्रिप्स (चूसने वाले कीट) और बैंगनी धब्बा रोग (पर्पल ब्लॉच) आते हैं। |
| | जैविक उपाय: थ्रिप्स के लिए नीम का तेल (Neem Oil) या पीले चिपचिपे जाल (Yellow Sticky Traps) का प्रयोग करें। फफूंदजनित रोगों के लिए ट्राइकोडर्मा घोल का छिड़काव या छाछ/दही के घोल का उपयोग किया जा सकता है। |
6. कटाई और उत्पादन
* फसल का पकना (पहचान): जब लहसुन की पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगें और लगभग 50-75% हिस्सा जमीन पर झुक जाए, तो समझ लें कि फसल पक गई है।
* कटाई: लहसुन को सावधानी से, बिना कंद को नुकसान पहुंचाए, खोदकर निकाल लें।
* सुखाना: लहसुन को पत्तों के साथ ही छोटे-छोटे बंडलों में बांधकर छायादार और हवादार जगह पर 15-20 दिनों के लिए सुखाएं। इससे कंद का आकार और वजन अच्छा बनता है।
* औसत उत्पादन: प्राकृतिक और जैविक तरीके से खेती करने पर लहसुन का औसत उत्पादन प्रति एकड़ 30 क्विंटल से 45 क्विंटल तक हो सकता है। यह किस्म, मिट्टी के प्रकार और खेती के तरीके पर निर्भर करता है।
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