मटर की खेती Matar ki fasal
मटर की खेती (बिजाई) ठंडे मौसम की फसल है और इसका सही तरीका और समय जानने से आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है।
मटर की बिजाई के लिए यहाँ चरण-दर-चरण जानकारी दी गई है:
📅 मटर की बिजाई का सही समय
मटर एक रबी की फसल है।
* उत्तम समय: मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर से नवंबर का महीना मटर की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
* अगेती फसल: जल्दी फसल लेने के लिए कुछ क्षेत्रों में सितंबर-अक्टूबर में भी बुवाई की जाती है।
* तापमान:
* बीज अंकुरण (Germination) के लिए लगभग 22^\circ\text{C} तापमान अच्छा होता है।
* अच्छे विकास के लिए 10 से 18^\circ\text{C} तापमान आदर्श होता है।
* ध्यान दें: पाला (Frost) पड़ने से फसल को नुकसान हो सकता है, खासकर फूल आने की अवस्था में।
🚜 खेत की तैयारी और भूमि
मटर की खेती के लिए मटियार दोमट और दोमट भूमि सबसे अच्छी होती है, जिसका \text{pH} मान 6.0 से 7.5 के बीच हो।
* जुताई: खरीफ की फसल कटने के बाद खेत की एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
* इसके बाद, कल्टीवेटर या रोटावेटर से दो से तीन बार जुताई करके मिट्टी को समतल और भुरभुरा बना लें।
* पलेवा (सिंचाई): बुवाई से लगभग 10-15 दिन पहले खेत में हल्की सिंचाई (पलेवा) कर लें, ताकि बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी रहे। यदि नमी पर्याप्त न हो तो बुवाई से पहले पलेवा करें।
* खाद: खेत की तैयारी के समय 20 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट अच्छी तरह से मिट्टी में मिला दें।
🌱 बीज का चुनाव और उपचार (Seed Treatment)
1. किस्म का चुनाव:
अपनी मिट्टी और मौसम के अनुसार मटर की उन्नत किस्मों का चुनाव करें (जैसे \text{PB}-89, \text{GS}-10 आदि)।
2. बीज दर:
आमतौर पर एक एकड़ के लिए 30-40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। अगेती किस्मों के लिए बीज दर थोड़ी अधिक हो सकती है।
3. बीज उपचार:
बिजाई से पहले बीज का उपचार करना बहुत ज़रूरी है:
* कवकनाशी (Fungicide) से उपचार: पहले बीज को कवकनाशी (जैसे कैप्टान या थीरम) से उपचारित करें।
* राइजोबियम कल्चर (Rhizobium Culture) से उपचार: कवकनाशी उपचार के 4-5 दिन बाद, बीज को मटर के लिए अनुशंसित राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें। इससे पौधे की जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) में मदद मिलती है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है।
🌾 बिजाई का तरीका
* बुवाई की विधि: मटर की बुवाई के लिए देशी हल में पोरा लगाकर या सीड ड्रिल (Seed Drill) का उपयोग करना चाहिए।
* दूरी और गहराई:
* पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 30 सेंटीमीटर (अगेती) से 45 सेंटीमीटर (मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों के लिए)।
* पौधे से पौधे की दूरी: 8-10 सेंटीमीटर।
* बुवाई की गहराई: बीज को 5-7 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए।
* उर्वरक: बुवाई के समय निम्न उर्वरकों को मिट्टी में मिलाना चाहिए (प्रति हेक्टेयर):
* यूरिया: लगभग 40 किलोग्राम।
* सिंगल सुपर फॉस्फेट: लगभग 375 किलोग्राम।
* म्यूरेट ऑफ पोटाश: लगभग 50 किलोग्राम।
💧 सिंचाई और देखभाल
* सिंचाई: बिजाई के बाद 1-2 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
* पहली सिंचाई: फूल निकलने से पहले (लगभग 45 दिन बाद)।
* दूसरी सिंचाई: फलियाँ भरने की अवस्था में (यदि आवश्यक हो)।
* खरपतवार नियंत्रण: बुआई के 30-35 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। आप खरपतवारनाशक (\text{Pre-emergence Herbicide} जैसे पेंडीमेथालिन) का उपयोग भी कर सकते हैं।
क्या आप मटर की किसी विशेष किस्म के बारे में जानना चाहेंगे या मटर की खेती में आने वाले रोगों और कीटों के नियंत्रण के बारे में जानकारी चाहते हैं?

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