खेत के लिए ऑर्गेनिक कीटनाशक कैसे बनाएं Organic pesticides for agriculture
गो-कृपा अमृत की तरह ही, प्राकृतिक खेती में लस्सी (छाछ), तांबा (कॉपर) और लोहा (आयरन) का उपयोग करके एक शक्तिशाली जैविक मिश्रण तैयार किया जाता है, जो मुख्य रूप से फफूंदनाशक (Fungicide) और आंशिक रूप से कीटनाशक के रूप में काम करता है।
यह विधि खट्टी छाछ और तांबे के मिश्रण पर आधारित है, जिसमें लोहे को शामिल करने से इसकी प्रभावशीलता बढ़ जाती है।
🍶 200 लीटर जैविक कीटनाशक/फफूंदनाशक बनाने की विधि
यह घोल 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव के लिए पर्याप्त होगा।
🛠️ आवश्यक सामग्री (200 लीटर घोल के लिए)
| सामग्री | आवश्यक मात्रा (लगभग) | उद्देश्य
| पुरानी/खट्टी छाछ (लस्सी) | 5 से 10 लीटर | फफूंदनाशी (Antifungal) गुण प्रदान करना |
| तांबे का टुकड़ा | 50 से 100 ग्राम (जैसे तार या प्लेट) | छाछ के साथ क्रिया करके कवकनाशी यौगिक बनाना |
| लोहे का टुकड़ा | 50 से 100 ग्राम (जैसे पुराने कील) | लोहे के सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करना |
| नीम के पत्ते (वैकल्पिक) | 1 से 2 किलोग्राम | मिश्रण की कीटनाशक क्षमता बढ़ाना
🧪 बनाने की प्रक्रिया
* छाछ जमा करना: एक प्लास्टिक के ड्रम में 5 से 10 लीटर कम से कम 3 से 7 दिन पुरानी खट्टी छाछ लें। छाछ जितनी खट्टी होगी, उतना ही अधिक लैक्टिक एसिड होगा।
* धातु डालना: छाछ में तांबे के टुकड़े और लोहे के टुकड़े (या कील) डालें।
* नीम मिलाना (वैकल्पिक): यदि आप कीटनाशक प्रभाव भी चाहते हैं, तो नीम के पत्तों को हल्का कूटकर छाछ में मिला दें।
* किण्वन (Fermentation): ड्रम को ढक कर छायादार स्थान पर 7 से 15 दिनों तक किण्वित होने के लिए छोड़ दें।
* मिलाना: इस मिश्रण को दिन में एक बार लकड़ी के डंडे से हिलाएं।
* तैयारी: लगभग 7-15 दिनों के बाद छाछ का रंग हल्का नीला या हरापन लिए हुए दिखने लगेगा (तांबे की क्रिया के कारण)।
* छानना: उपयोग से पहले, तांबे और लोहे के टुकड़ों (जिन्हें आप पुनः उपयोग कर सकते हैं) और नीम के पत्तों को घोल से बाहर निकाल लें और पूरे घोल को महीन कपड़े से अच्छी तरह छान लें।
🚿 प्रयोग की विधि (200 लीटर तैयार घोल)
यह घोल उपयोग के लिए अत्यंत सांद्रित (Concentrated) होता है, इसलिए इसे सीधे उपयोग नहीं करना चाहिए।
* मिश्रण तैयार करना: तैयार किए गए 5 से 10 लीटर के सांद्रित घोल को 200 लीटर सादे पानी में अच्छी तरह से मिलाएं।
* छिड़काव: इस 200 लीटर तैयार मिश्रण का उपयोग 1 एकड़ फसल पर छिड़काव (Foliar Spray) के रूप में करें।
* समय: छिड़काव हमेशा सुबह या शाम के समय करें, जब धूप तेज न हो।
* अंतराल: फफूंद रोग दिखाई देने पर या निवारक (Preventive) उपाय के रूप में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव किया जा सकता है।
✨ मुख्य फायदे
| फफूंदनाशक | यह कवक जनित रोगों जैसे पत्ती धब्बा (Leaf Spot), जंग (Rust), और झुलसा (Blight) के नियंत्रण में बहुत प्रभावी है। |
| कीटनाशक | छाछ की अम्लीय प्रकृति और नीम के तत्वों के कारण यह माइट्स और कुछ छोटे कीटों को दूर भगाने में भी सहायक होता है। |
| पोषक तत्व | तांबा (Copper) और लोहा (Iron) दोनों ही पौधों के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients) हैं, जो छिड़काव के माध्यम से सीधे पौधों को मिलते हैं। |
| सुरक्षित खेती | यह पूरी तरह से रासायनिक मुक्त होता है, जिससे खेत और उपज दोनों सुरक्षित रहते हैं।
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खेत के लिए ऑर्गेनिक कीटनाशक बनाना एक अच्छा तरीका है क्योंकि यह न सिर्फ फसलों को कीटों से बचाता है, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाता। यहाँ तीन सबसे असरदार और आसानी से बनाए जाने वाले ऑर्गेनिक कीटनाशकों के बारे में बताया गया है:
1. नीम का तेल आधारित कीटनाशक
नीम का तेल कई तरह के कीटों को दूर भगाने में बहुत प्रभावी है।
सामग्री:
* नीम का तेल: 50 मिलीलीटर (मिली)
* हल्का साबुन (जैसे हैंड वॉश या कपड़े धोने का साबुन): 5-10 ग्राम
* पानी: 10 लीटर
बनाने का तरीका:
* सबसे पहले, साबुन को 10 लीटर पानी में अच्छी तरह घोल लें।
* अब इस पानी में 50 मिली नीम का तेल मिलाएं और लकड़ी के डंडे से अच्छी तरह हिलाएं। साबुन तेल को पानी में घुलने में मदद करता है।
* इस मिश्रण को तुरंत एक छिड़काव मशीन में भरकर फसलों पर छिड़काव करें।
फायदे:
* यह रस चूसने वाले कीटों (जैसे माहू, सफेद मक्खी) और इल्लियों पर बहुत असरदार है।
* इसे फसल पर हफ्ते में एक बार छिड़का जा सकता है।
2. लहसुन और मिर्च का कीटनाशक
यह कीटनाशक लहसुन और मिर्च की तीखी गंध से कीटों को भगाता है।
सामग्री:
* लहसुन: 100 ग्राम
* हरी मिर्च: 50 ग्राम (या सूखी लाल मिर्च)
* पानी: 2 लीटर
बनाने का तरीका:
* लहसुन की कलियों और हरी मिर्च को एक साथ पीसकर पेस्ट बना लें।
* इस पेस्ट को 2 लीटर पानी में मिलाएं और रात भर के लिए छोड़ दें।
* अगले दिन, मिश्रण को कपड़े से छान लें ताकि छिड़काव मशीन में कुछ फंसे नहीं।
* इस मिश्रण को छिड़काव करने से पहले, इसे 10 गुना पानी में मिलाएं (यानी 1 लीटर मिश्रण को 10 लीटर पानी में मिलाएं)।
फायदे:
* यह कीटों को पौधों से दूर रखता है और उन्हें आकर्षित नहीं करता।
* इल्लियों और रस चूसने वाले कीटों पर यह बहुत कारगर है।
3. खट्टी छाछ या मट्ठा का कीटनाशक
खट्टी छाछ में मौजूद बैक्टीरिया और फफूंदनाशक गुण पौधों को कई बीमारियों और कीटों से बचाते हैं।
सामग्री:
* बहुत पुरानी और खट्टी छाछ या मट्ठा: 1 लीटर
* पानी: 10 लीटर
बनाने का तरीका:
* 1 लीटर खट्टी छाछ को 10 लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाएं।
* इस मिश्रण को सीधे पौधों पर छिड़काव करें।
फायदे:
* यह पौधों पर लगने वाली फफूंदी (फंगस) और कई तरह के कीटों को नियंत्रित करता है।
* यह पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
इन सभी ऑर्गेनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल आप अपनी फसल पर बेझिझक कर सकते हैं। कीटनाशकों का छिड़काव शाम के समय करें ताकि पौधों को नुकसान न हो और कीट भी ज़्यादा सक्रिय हों।
उपरोक्त विधि (लस्सी/छाछ, तांबा, लोहा और नीम) से बनाए गए जैविक फफूंदनाशक और कीटनाशक के मिश्रण को अंग्रेजी में किसी एक विशिष्ट नाम से नहीं जाना जाता, क्योंकि यह एक पारंपरिक, किसान-निर्मित मिश्रण है।
हालांकि, इसे इसके घटकों और कार्यक्षमता के आधार पर वर्णित किया जा सकता है:
1. वर्णनात्मक नाम (Descriptive Names):
* Sour Buttermilk-Copper Fungicide (खट्टी छाछ-तांबा फफूंदनाशक)
* Traditional Buttermilk-Copper Pesticide (पारंपरिक छाछ-तांबा कीटनाशक)
* Natural Farming Microbial-Copper Solution (प्राकृतिक खेती सूक्ष्मजीव-तांबा घोल)
2. तकनीकी विवरण (Technical Terminology):
जब आप किसी विशेषज्ञ या वैज्ञानिक से बात कर रहे हों, तो आप इसके तत्वों का वर्णन कर सकते हैं:
* "It is a Buttermilk-based Bio-fungicide fortified with Copper and Iron for controlling fungal diseases, often referred to by Indian farmers as a Lactic Acid Bacteria (LAB) based copper solution."
संक्षेप में, आप इसे सबसे आसानी से Buttermilk-Copper Fungicide कह सकते हैं।
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